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Showing posts from April, 2021

भारत की धरोहर अद्भुत कवि की विचित्र रचना

  आज दोस्तों आप के सामने एक अनुठे  व महान कवि व रचनाकार की अद्भुत क्षमता की प्रस्तुति लाया हूं जो न केवल श्रेष्ठतम है बल्कि विशुद्ध व अद्वितिय है।आइए अवलोकन करें उस महान अनुकृति का और गौरव करें भारतीय संस्कृति का व उसके महान रचनाकारों का। *अति दुर्लभ एक ग्रंथ ऐसा भी है हमारे सनातन धर्म में* इसे तो सात आश्चर्यों में से पहला आश्चर्य माना जाना चाहिए --- *यह है दक्षिण भारत का एक ग्रन्थ*🌺 क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो राम कथा के रूप में पढ़ी जाती है और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़े तो कृष्ण कथा के रूप में होती है । जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ "राघवयादवीयम्" ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा (उल्टे यानी विलोम)के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं 60 श्लोक। पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शि

Five important Body elements n their dimensions

 पंच_तत्व_और_शरीर....       Collection:- जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारा शरीर पंच तत्वों से बना है। ये पंच तत्व ही भौतिक और अभौतिक रूप में शरीर का निर्माण करते है। ये पंच तत्व क्या है और शरीर में कैसे काम करते है। आज इन्ही तत्वों को समझेंगे।       ये पंच तत्व है क्रम अनुसार......   1. पृथ्वी, 2. जल, 3. अग्नि, 4. वायु, 5. आकाश। #1_पृथ्वी_तत्व------      ये वो तत्व है जिससे हमारा भौतिक शरीर बनता है। जिन तत्त्वों, धातुओं और अधातुओं से पृथ्वी (धरती) बनी है, उन्ही से हमारे भौतिक शरीर की भी सरंचना हुई है। यही कारण है कि हमारे शरीर में, लौह धातु खून में, कैल्शियम हड्डियों में, कार्बन फाइबर रूप में, नाइट्रोजन प्रोटीनरि रूप में और भी कितने ही तत्व है जो शरीर में पाए जाते है। और यही कारण है कि आयुर्वेद में शरीर को निरोग और बलशाली बनाने के लिए धातु की भस्मों का प्रयोग किया जाता है। #2_जल_तत्व--------       जल तत्व से मतलब है तरलता से। जितने भी तरल तत्व जो शरीर में बह रहे है वो सब जल तत्व ही है। चाहे वो पानी हो, खून हो, वसा हो, शरीर मे बनने वाले सभी तरह के रस और एंजाइम। वो सभी जल तत्व ही है। जो श

मोह क्या है ?

  उ०-किसी भी पदार्थ, वस्तु या संबंध के प्रति अनुराग,व आसक्ति। किसी व्यक्ति विशेष वस्तु विशेष अथवा संबंध विशेष से असीम राग या लगाव हो जाए कि उसके खो जाने मात्र की कल्पना भी भयभीत करदे तो यह स्थिति मोह है। देखा जाए तो यह एक अभिव्यक्ति है जोकि आवश्यक व अनावश्यक दोनों ही है। यदि बात करें आवश्यक की तो यदि इक मां का अपने नवजात शिशु से मोह न हो तो उसका भरनपोषण कैसे संभव होगा। यह उस नियंता की एक व्यवस्था है जिसे समझना होगा । अब इसे अनावश्यक रूप से कब देखें? तो उत्तर में इतना जान ले कि आप किसी वस्तु को अपने अधिकार में ही रखने को ही व्यथित रहे। और अनावश्यक रूप से उसके अन्य कोई सार्थक प्रयोग को बाधित कर रहे हो तो यह मोह अनावश्यक हैं। यहां आपको अनेकों उदाहरण मिलते हैं जो इस शब्द की सार्थकता व निरर्थकता को और विस्तार से जानकारी देता है। कहते हैं श्री राम चरित मानस के रचयिता ,श्री तुलसी दास जी अपनी पत्नी  रत्नावति से बेहद प्रेम रखते थे।एक प्रसंग आता है कि वो अपनी पत्नी से इतना प्रेम रखते थे कि एक बार वो मायके जा रखी थी और तुलसी दास जी को उनका यह वियोग सहा नहीं गया और वो रात्रि में ही उनसे मिलने अपने