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Showing posts from March, 2021

धर्म क्या है? इसका महत्व क्या है।

 उतर:- आजकल  धर्म को लोग  बड़े विचित्र  रूप से देखने लगे हैं।हर किसी ने अपनी सुविधानुसार व बुद्धि अनुसार इसकी अपनी ही व्याख्या गढ़ ली है।जो कि वास्तविक आधार लिए नहीं है। आमतौर पर अपनी आस्था की पद्धति या उसके विभिन्न पहलुओं की व्याख्या करने वाले विद्वान् भी इस सरल से अभ्यास को जटिल ही बनाए जा रहे हैं। यहां आज यह एक अभिव्यक्ति का सशक्त व  संवेदनशील मुद्दा बनाया जा रहा है वहीं यह अपनी वास्तविक आधार खोता जा रहा है। (क्यूंकि इस में काल के अनुसार नवीनता की बहुत गुंजाइश है।)मैं किसी को व्यक्तिगत रूप से दोषी नहीं मानता क्योंकि हर किसी को अपना पक्ष रखने की स्वतंत्रता है वहीं अपनी जानकारी व विवेक के आधार पर अपनी राय रखने का भी अधिकार है। मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि धर्म मात्र आस्था विश्वास की अपनाई जाने वाली कोई  पद्धति मात्र नहीं बल्कि विशुद्ध  रूप से न्यायसंगत कर्मों की न्यायिक  व्यवस्था है। अगर मैं इसे  किसी अन्य  रूप से कहूं तो हमारी श्रृद्धा व इमानदारी से किया गया आचरण जो शत-प्रतिशत हमारे कर्त्तव्यों को न्यायपूर्ण ढंग से व जो काल, स्थान, स्थिति में आवश्यक  हो व किसी का  किंचित भी अहित

भौतिक शरीर क्या है? इसका क्या महत्व है!

शरीर के बारे में श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि ये ज्ञान क्षेत्र व श्रेत्रज्ञ का है। यहां क्षेत्र को शरीर कहा है वह इसके जानकार को क्षेत्रज्ञ। अतः पांच भौतिक तत्वों अग्नि,वायु जल,आकाश (जिसे अंतरिक्ष भी कहते हैं) ,व भूमि, से निर्मित ये परिकृषत  स्वचालित व जटिल उपकरण जो आपको मिला है इसके पीछे एक गूढ़ उद्देश्य है।यह मात्र दो अणुओं (अंडाणु व शुक्राणु) के मेल से आरंभ होकर एक उत्कृष्ट यंत्र में विकसित होता है ताकि आपके होने की सार्थकता परिपूर्ण हो।ये इन्हीं पंच  तत्वों से मिलकर बनता है, इन्हीं तत्वों से पोषित होता है वह इन्हीं तत्वों में विलीन हो जाता है यह आपके सत्ताशील होने की निशानी है आपके चैतन्य होने का प्रमाण है। और यह तभी सम्भव है जब इसकेे पीछे एक असीम आनन्द का कारण हो। वास्तव में यह जीव का निवास स्थान है यहां से जीवन की समस्त गतिविधियों को पूरा करने का प्रयास जीव करता है। आपके चैतन्य आत्मा जब किसी इच्छा को पूर्ण करने की कामना करता है तो उसे पूरा करने हेतु जो पहली आवश्यकता होती है वो शरीर ही है। यही जीव या प्राणी मात्र के कारण कार्यों को पूरा करने का उपकरण है।जब आत