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ब्राह्मण कौन है।

 हम ब्राह्मण  के बारे मे जानते क्या है , ब्राह्मण  वास्तव मे है कौन  ।यह जानना जरूरी है।

हमारे बौद्धिक कौशल के चार स्तर है ,जोकि क्रमशः शुद्र, क्षत्रीय,वैश्य व ब्राह्मण है।

पर आपने एक बात अदेखी वो यह कि अंतिम  लक्ष्य  या स्तर बुद्धि का ब्राह्मण  होना है ।एक बार प्रश्न उठा कि इन चारो की उत्पत्ति को समझाया कैसे जाए।तो वेदव्यास  जी के मन मे भी यह प्रश्न  कौंधा होगा।तो स्वाभाविक है उन्होने  ब्रह्मांड  छान डाला होगा तो जब उत्तर की बारी आई तो उन्होने ही इन्हे भगवान के मुखसे हुई उत्पत्ति  बताई।शायद ठीक  था।कारण आप वाणी से ही तो जीतोगे न जग को।वो प्रश्न  बाद का है कैसी वाणी।

फिर  शुद्र से ब्रह्म की यात्रा ही तो ब्राह्मण है।हर कोई  ब्राह्मण  थोडे ही है ।आप क्या समझते है यह जातिगत है क्या। अरे भाई  क्यू मजाक  करते हो।गंभीर  विषय  है सो ध्यान  से समझने का प्रयास  करे पहले तो समझ ले कि ब्रह्मांड के रहस्योद्घाटन करने वाले शख्सियत को ब्राह्मण कहेगे।

ब्राह्मण कोई  एक जाति विशेष  मे पैदा होने वाला जीव नही होता।बल्कि  ब्राह्मण वो जीव या प्राणी है जो ब्रह्म से साक्षात्कार करे व  करा दे अर्थात  ईश्वर से मिले व मिला दे।

भले ही वो किसी जाति, सम्प्रदाय, कुल, या प्रकृति मे पैदा  का क्यू न  हुआ हो।

जो जीवन की जीवंतता से मिलवा दे व उसके प्रश्नो के हल प्रस्तुत करे वो है ब्राह्मण। गुणो की बात करे तो ।

गुण:- संक्षेप मे कहे तो ब्राह्मण  उस व्यक्ति  विशेष  को कहेगे ,जो ब्रह्म की खोज  मे लगा है,व अन्य के अनुभवो व चेष्टाओं अपने अनुभव की सापेक्षता  समझते हुए उसे सरसता व सरलता  से   अन्य को भी मिलवाता है, तब वो दुसरो को अपने अनुभव से मिलवा कर या बता कर उनका मार्ग भी सरल व सुगम कर देता है।अतः ईश्वर से एकाकार  कराने वाला व करने वाला जीव  ही ब्राह्मण  है।

आप देखे वेदो मे ऐसे कही भी नही लिखा कि ब्राह्मण  के घर पैदा होने से आप ब्राह्मण  हो जाते है।यदि ऐसा होता तो धुंधुकारी  आत्मदेव  के यहा पैदा होकर पिशाच  या प्रेत होता।व गौ करण गाय से पैदा होकर ब्राह्मण  होता ।तो यह तो व्यक्ति के कर्म की आस्था  उससे स्व विकास व सन्मार्ग पर बढने की रीत का होना ही ब्राह्मणत्व है।

कई  शास्त्र कहते है ब्राह्मण  ब्रह्मा जी के मुख से उपजा जीव है।तो इसे भी समझे।

,हा मै अपने मत को इस प्रकार  से रखूगा कि क्या सच मे उसके मुख से पैदा हुए  होगे ब्राह्मण  या कुछ  ओर सकेत है।

तो संकेत जो मुझे समझ आता है वो यह रहा होगा कि , हम अपने मुख से वाणी से यह विचारो की उच्च श्रृंखला  से सुसज्जित  होते है अच्छी  वाणी द्वारा ईश्वर का साक्षात्कार करते है। या  उच्चता का सानिध्य  पाते है तो यदि यह गुण स्वयं मे पोषित कर लेते है तो हम ब्राह्मण  हो जाते है ।अब एक ओर बात भी समझे जो मुझे लगता है वो यह कि यह भ्रम  तो आप बिल्कुल  मन से निकाल दो कि ईश्वर  कोई  मंदिर या जैसे वर्णित है शास्त्रोक्त  विचार मे वैसे होगा।वो तो सकेत है आप कैसै पकडते है यह आप के विवेक व मन-मस्तिष्क के स्तर की बात  है।

गूढ रहस्य  समझ कर सरल व्याख्यान  करने वाला वाणी की विशेष  समृद्धता वाला व्यक्ति  ब्राह्मण  है।यही मेरा मत है।आप देखे न क्या यह सब मुख की बात नही।सो यही मेरा मानना  है।बाकि आप अनुभव अधिक  रखते है ।मै तो प्रयास मे हू कि आसान  से आसान  व्याख्यान  हो।

तो भ्रम से बाहर  निकालने वाले को भी ब्राह्मण कहसकते है ।इन्ही मै तत्वदर्शी समान मानता हू।

आप देखे सुदामा ब्राह्मण  थे ,

व भागवत पुराण  के आत्मदेव  भी ।पर दोनो के चरित्र  देखे तो नेक नियति  के ,आचार विचार के एक से होने पर भी एक विषमता थी।वो यह कि आत्मदेव  जी ने सब जानकर भी पुत्र मोह की कामना  की ईश्वर  से मांगा। जबकि सुदामा ने न कुछ  न मांगा। तो यह अंतर है ब्राह्मण व सत्यनिष्ठ  ब्राह्मण  मे।आगे ओर भी चर्चा करते रहेगे।।

आप अपने विचार  रखते रहे हमे नाम नही कमाना समझना है सनातन परंपरा को।ताकि मानव कल्याण  हो हम शुद्रता से ब्राह्मणत्व की ओर चले।यही मुझे कृष्ण आदेश  है।

सो जय श्रीकृष्ण जय श्रीराम जय श्रीकृष्ण 

* :-अब सत्यनिष्ठ  ब्राह्मण  को भी समझने का प्रयास करते है।:-

ऐसा ब्राह्मण जो श्रेष्ठ  खुद के लिए हो,व केवल उच्च गुणो से युक्त हो व उन्ही का अनुसरण करे व दूसरो को उन पर चलने को प्रेरित करे ।उनके लिए  उस उच्चारण का ओर सरल मार्ग  कर दे।व  सच्चाई के रास्ते  पर ही टिका रहे भले ही कुछ  असाधारण  स्थिति  का असहज स्थिति का भी सामना क्यू न करना पढे।

मेरी नजर मे सत्यनिष्ठ ब्राह्मण वही है।

जय श्रीकृष्ण

फिर  ओर भी जोडूगा।

समय समय पर 

जय श्रीकृष्ण। जय श्रीकृष्ण। जय श्रीकृष्ण। 

वैसे मैने प्रतिलिपि  पर थोडा ओर भी लिखा है वह भी पढे।शायद अच्छा लगे।जय श्रीराम जय श्रीकृष्ण। जय श्रीकृष्ण। जय श्रीकृष्ण। 


विवेचक, 

(श्रीमदभागवत गीता  पुराण। )

मौलिक रचनाकार, 

संदीप शर्मा, 

Sandeep Sharma Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com,

Jai shree Krishna g. 


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