Skip to main content

शोक हारी अशोक वृक्ष।

 अशोक वृक्ष के प्रभावशाली उपाय

〰️〰️🌼〰️〰️〰️〰️🌼〰️〰️

अशोक वृक्ष धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं पारिवारिक जीवन में अन्य पावन वृक्षों, जैसे वट-पीपल आदि की भांति भारतीयों के लिए श्रद्धा का पात्र है। शुभ एवं मंगलकारी वृक्ष के रूप में इसका वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में किया गया है। यह वृक्ष पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में प्रभावी भूमिका निभाता है। धर्मावलंबी इसको किसी न किसी रूप में पावन वृक्ष के रूप में श्रद्धा के साथ मान्यता देते हैं। 

प्राचीन मूर्तियों में अशोक वृक्ष की अर्चना अंकित है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस वृक्ष को इसलिए पूजते हैं क्योंकि महात्मा बुद्ध का अशोक वृक्ष के नीचे जन्म हुआ था। वैसे तो इस वृक्ष की पूजा का प्रचलन, गन्धर्वों और यक्षों के काल से रहा है। श्री राम ने अशोक के पेड़ से ही सीता जी के दर्शन की अभिलाषा की थी। तो कालान्तर में राम भक्त हनुमान की सीता को अशोक पेड़ के नीचे बैठी देखकर ही शोक की समाप्ति हुई थी। इससे इस पेड़ के शोक रहित होने की बात चरितार्थ सिद्ध होती है। भगवान वाल्मीकि ने रामायण में वर्णित, पंचवटी में लगे प्रमुखत: पांच वृक्षों को शुभ माना है। उनमें अशोक वृक्ष भी है। यह पेड़ इंद्र देव को अत्यधिक प्रिय है क्योंकि यह कामदेव का प्रतीक माना गया है। इस पेड़ को पूजने की परंपरा राजा भोज के समय से है।


अशोक वृक्ष को विभिन्न भाषाओं में विभिन्न नामों से संबोधित किया जाता है। जैसे संस्कृत में महापुष्प, अपशोक मंजरी, मारवाड़ी में आसापाली, गुजराती में आसोपालव, देववाणी में अशोक, बञजुली शोक, उडिय़ा, गढ़वाली, बंगाली, मराठी व कन्नड़ में अशोक, तमिल में आर्सीगम वनस्पति शास्त्रियों के अनुसार सराका इंडिका अशोक एवं लैटिन में जानेसिया अशोक। 


ज्योतिष शास्त्र में व्यवसाय बाधा निवारण, विवाह बाधा निवारण एवं धन की कामना के लिये अशोक वृक्ष के कई उपाय बताए गए है आज हम उनमें से कुछ प्रमुख उपायों को आप लिये प्रस्तुत कर रहे है।


1👉 किसी भी शुद्ध मुर्हूत में जैसे कि गुरु+रवि पुष्य योग या जिसे उपाय करना है उसकी जन्म तिथि के दिन पड़ने वाला अभिजीत मुहूर्त, होली, दीपावली, धनतेरस, अक्षय तृतीया, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा या अन्य मासिक शुभ मुहूर्त में अशोक वृक्ष की जड़ को निकाल लें। जड़ को निकाल उसे स्वच्छ जल अथवा गंगा जल से शुद्ध करके। अपने पूजा के स्थल में माँ दुर्गा के बीज मन्त्र से 1008 बार या यथा सामर्थ्य इससे अधिक जाप करें। इसके बाद इस मूल जड़ को लाल कपड़े या लाल धागें में शरीर पर धारण करने से कार्यो में शीघ्र ही सफलता मिलने लगती है। इसकी मूल जड़ को शुद्ध करके तकिये के अन्दर रखने से वैवाहिक जीवन में परस्पर प्रेम बना रहता है।


2👉 अशोक के पेड़ पर यदि प्रतिदिन जल चढ़ाया जाये तो उस गृह में माँ भगवती कृपा विद्यमान रहती है। उस मकान में रोग, शोक, गृह कलेश अशान्ति आदि समस्यायें न के बराबर रहती है। इस पेड़ पर जो जातक नित्य जल अर्पित करता है। उस पर माँ लक्ष्मी की कृपा बरसती है। प्रत्येक शुक्रवार को अशोक के वृक्ष के नीचे घी एवं कपूर मिश्रित दीपक जलाने से घर में नकारात्मबक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है।


3👉जो जातक निरन्तर व्यवसाय में हानि उठा रहे एवं उनका व्यवसाय बन्द होने की कगार पर है। वह जातक निम्न प्रयोग करके लाभ प्राप्त कर सकते है। अशोक वृक्ष के बीजों को प्राप्त कर उन्हें स्वच्छ करके धूप व अगरबत्ती दे और आँखे बन्द करके अपनी समस्या से मुक्ति देने की प्रार्थना करें तद्नन्तर इन बीजों में से एक बीज को किसी ताबीज में भरकर अपने गले में धारण कर लें। शेष बीजों को धन रखने के स्थान पर रख दें। यह उपाय शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार को करना अति उत्तम रहेंगा।


4👉 किसी भी शुभ मुर्हूत में अशोक के पेड़ की जड़ को पूर्व निमन्त्रण देकर निकाल लायें। उस समय आप मौन रहें। घर में लाकर इसे गंगा जल से शुद्ध करके तिजोरी या धन रखने के स्थान रखें। इस प्रकार का उपाय करने से उस घर में धन की स्थिति पहले की अपेक्षा काफी सुदृढ़ हो जाती है।


5👉 अशोक वृक्ष के फलों को मंगलवार के दिन हनुमान जी को अर्पित करने से मंगल ग्रह की पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है।


6👉 यदि किसी कन्या का विवाह नहीं हो रहा है। और परिवार के लोग काफी चिन्तित एवं परेशान है। वह लोग यह उपाय कर सकते है। अशोक वृक्ष की जड़ तथा पत्ते प्राप्त कर,उस कन्या के स्नान करने वाले जल में डाल दें। तत्पश्चात उस जल में कान्या स्नान करें। ध्यान रखें कि पत्ते व जड़ जल से बाहर न गिरे। स्नान करने के पश्चात इन पत्तों को परिवार का कोई भी सदस्य पीपल वृक्ष की जड़ पर डाल दे। यह प्रयोग कम से कम 41 दिन तक अवश्य करें। 


यह उपाय शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से ही प्रारम्भ करें। ऐसा करने से शीघ्र ही उस कन्या का विवाह निश्चित हो जायेगा।


अशोक वृक्ष का वास्तु में प्रयोग 👉 

〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️

अशोक का वृक्ष घर में उत्तर दिशा में लगाना चाहिए। जिससे गृह में सकारात्मक ऊर्जा का संचारण बना रहता है। घर में अशोक के वृक्ष होने से सुख,शन्ति एवं समृद्धि बनी रहती है एंव अकाल मृत्यु नहीं होती है। परिवार की महिलाओं को शारीरिक व मानसिक ऊर्जा में वृद्धि होती है। यदि महिलायें अशोक के वृक्ष पर प्रतिदिन जल अर्पित करती रहे तो उनकी इच्छायें एवं वैेवाहिक जीवन में सुखद वातारण बना रहता है। 

जो छात्र पढ़ते बहुत है। परन्तु कुछ समय बाद वह सब भूल जाते है। वह लोग अशोक की छाल तथा ब्रहमी समान मात्रा में सुखाकर उसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह शाम एक गिलास हल्के गर्म दूध के साथ सेवन करने से शीर्घ ही लाभ मिलेगा।

〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️

संकलन 

Sandeep Sharma Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com

 Jai shree Krishna g 

Comments

Popular posts from this blog

कब व कैसा दान फलदायी है।

 दैनिक जीवन की समस्या में छाया दान का उपाय 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ अक्सर ऐसा होता है कि व्यक्ति का बिता हुआ काल अर्थात भुत काल अगर दर्दनाक रहा हो या निम्नतर रहा हो तो वह व्यक्ति के आने वाले भविष्य को भी ख़राब करता है और भविष्य बिगाड़ देता है। यदि आपका बीता हुआ कल आपका आज भी बिगाड़ रहा हो और बीता हुआ कल यदि ठीक न हो तो निश्चित तोर पर यह आपके आनेवाले कल को भी बिगाड़ देगा। इससे बचने के लिए छाया दान करना चाहिये। जीवन में जब तरह तरह कि समस्या आपका भुतकाल बन गया हो तो छाया दान से मुक्ति मिलता है और आराम मिलता है।  नीचे हम सामाजिक एवं पारिवारिक जीवन की विभिन्न समस्या अनुसार छाया दान के विषय मे बता रहे है। 1 . बीते हुए समय में पति पत्नी में भयंकर अनबन चल रही हो  〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ अगर बीते समय में पति पत्नी के सम्बन्ध मधुर न रहा हो और उसके चलते आज वर्त्तमान समय में भी वो परछाई कि तरह आप का पीछा कर रहा हो तो ऐसे समय में आप छाया दान करे और छाया दान आप बृहस्पत्ति वार के दिन कांसे कि कटोरी में घी भर कर पति पत्नी अपना मुख देख कर कटोरी समेत मंदिर में दान दे आये इससे आप...

मोह व आसक्ति( भाग दो।)

  सभी मित्रगण को प्रणाम  व जय श्रीकृष्ण। व राधे राधे। साथीगण  यह मोहहमे बडा सताता है पर यह हमारे उत्थान  को आवश्यक है।व यह प्रेरित  करता है कि हम अपने उदेश्यको सार्थक ढंगसे निर्वहन करते हुए आगे बढे।।तो आइए  सुनते है यह कथा। जिसका हमने आपको पिछले अध्याय  मे सुनाने का मोह रख छोडा था। कहते है जब ऋषि वेदव्यास  श्रीमदभागवत  पुराण  को रचने को प्रेरित  हुए थे तो  उन्हे ऐसे सृजन शील व्यक्ति या हस्ति की आवश्यकता हुई जो इस पुराण  को उसी गति से लिख सके जिस गति से वेदव्यास  भगवान  सोच रहे  हो व सृजन  कर रहे थे।तो ऐसे मे नारद जी ही सहायक हुए।नारद जी ने इसमे उनकी सहायतार्थ  श्री गणेश  जी का नाम  सुझाया। तो वो उनने पास  गए  व उन्हे मनाया वो तो बुद्धि  कौशल के स्वामी है तो हामी भर दी।और इधर वेदव्यास  जी ने एक विचित्र  शर्त यह रखी कि जो बोलूंगा  वो तो उसी गति से लिखोगे  ही पर लिखोगे तब जब उनके अर्थ सही  सही से लगा सको।और यह तो गणेश जी   थे ही कौशल ...

Five important Body elements n their dimensions

 पंच_तत्व_और_शरीर....       Collection:- जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारा शरीर पंच तत्वों से बना है। ये पंच तत्व ही भौतिक और अभौतिक रूप में शरीर का निर्माण करते है। ये पंच तत्व क्या है और शरीर में कैसे काम करते है। आज इन्ही तत्वों को समझेंगे।       ये पंच तत्व है क्रम अनुसार......   1. पृथ्वी, 2. जल, 3. अग्नि, 4. वायु, 5. आकाश। #1_पृथ्वी_तत्व------      ये वो तत्व है जिससे हमारा भौतिक शरीर बनता है। जिन तत्त्वों, धातुओं और अधातुओं से पृथ्वी (धरती) बनी है, उन्ही से हमारे भौतिक शरीर की भी सरंचना हुई है। यही कारण है कि हमारे शरीर में, लौह धातु खून में, कैल्शियम हड्डियों में, कार्बन फाइबर रूप में, नाइट्रोजन प्रोटीनरि रूप में और भी कितने ही तत्व है जो शरीर में पाए जाते है। और यही कारण है कि आयुर्वेद में शरीर को निरोग और बलशाली बनाने के लिए धातु की भस्मों का प्रयोग किया जाता है। #2_जल_तत्व--------       जल तत्व से मतलब है तरलता से। जितने भी तरल तत्व जो शरीर में बह रहे है वो सब जल तत्व ही है। चाहे वो पानी हो, खून हो, वसा...