बात अब वो रही नही,
जो होती थी पहले कभी,
अब तो सिर्फ फसाने है ,
सुनी इधर उधर की बाते है।
मन को कर लिया है बंद फिर आज ,
सुन उनकी कोरी झूठी बात,
जो कह रहे है वो उनसे
वो और किसी के लहजे है,
क्यू करते है यकीन उनका,
उनकी बेगैरत सी बाते है।
क्या इतना ही मुझको जाना,
फिर काहे का यह अफसाना,
उनसे कहना कि ठीक हुआ,
जो मुझको उन्होने अपना न माना।
जब फितरत ही मेरी , उन्हे मालुम नही,
वो बात ओरो की करते है,
मैने ऐसे कहा,मैने वैसे कहा,,
ये सुनी सुनाई बाते है,
उनसे कहना मै नही हू वह ,
जो लोगो ने बतलाया है।
थोडा सा मुझे जो जान वो ले,
तो उनका ही सरमाया मै,
वो सारी है गलतफहमियां,
जो उनका मन भरमाया है।
मै था ही नही ,जो बताया गया,
जाने किसने भरमाया है।
कहना उनसे ठीक हुआ,
जो उनको गया समझाया है।
क्यू मानते है वो लोगो की
जो पीठ पीछे बुलवाया है।
करते वो यकीन तो अच्छा था,
जो मुझको उन्होने जाना था,
रह जाते वही फिर हम बन कर ,
जो किस्सा अब अनजाना है।
उनसे कहना ,
उनसे कहना,
यह सब तुम उनसे कहना,
ये दिया गया जो धोखा है,
यह दुनिया का अफसाना है।
नही गम मुझे रत्ती भर भी
जब दुनिया का कहा ही माना है।
उनसे कहना अब बात नही ,
कोई हम दोनो मे खास रही ,
सब खत्म हुई जो सोचा था,
अब जग की रख लो तुम बात सही।
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स्वरचित मौलिक रचनाकार,
Sandeep Sharma Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com,
Jai shree Krishna g .
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