सोच अच्छी हो तो यहा ,सब संवर जाता है।
कितना भी हो मुश्किल सवाल,
हल निकल ही आता है।
सोच हो ऊंची तो आदमी आगे बढ जाता है।
रास्ते हो संकरे भले ही ,
राह फिर भी वो निकाल लाता है।
मंजिल हो दूर कितनी भी,
पहुँच वहा जाता है।
सोच की न पूछ सब इसी पर टिका जाता है ।
नीची सोच का तो हाल नीच ही रह जाता है ।
पाता नही सम्मान कोई,
नजरो से भी गिर जाता है।
सो सोच रखो सदा ऊंची,
जिससे खुदा भी घबराता है ।
देता वो सारी नियामते,
जो रख सबसे छुपाता है।
सोच सोच की बात है संदीप ही यह बताता है।
खुश रहो खुश रखो ,इस सोच मे मजा आता है।
दूर की, क्यू न सोचते तुम ,
कठिन ही तो बताता है ,
आसान है जो छोटी चादर ,
पाॅव न जिसमे समाता है।
मुशिकलात झेलो पहले ,
फिर खुशियों से नाता है।
यह मंजर भी सोच का ही ,
देख तू क्या अपनाता है
देना न दोष फिर किसी को
तुम यह छोटी सोच को दर्शाता है।
पहुँचा जो ऊंचाई पे कभी तो ,
यह तेरी खरी सोच से आता है।
सो सोचता बैठा है क्यू तू।
चल उठ समय तो जाता है।
ला मंजिलो को पास जिन्हे,
दूर तू बताता है।
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Scripted by
Sandeep Sharma Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com ,
Jai shree Krishna g 👌 🙏 💖
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