कितना आसान है ,
मिलना सुख का,
पर देखो हमे तो,
दुख मे मजा है,
मिलिए न कभी,
खुद ही खद से ,
क्या कही वो मिली सजा है।
सबसे दिलचस्प,
सबसे दिलकश,
मेरा मुझ पर,
भरोसा जानो,
सबसे तो होगी
,ढेरो शिकायते,
अपने को बिल्कुल,
पावन ही मानो ,
तो फिर क्यू न तुम्हे भरोसा,
है खुद पे,
खुदा ने जो की है ,
इतनी इनायते।
मिल लो कभी तो ,
खुद ही खुद से ,
बन जाओगे ,
तुम बिल्कुल बुद्ध से,
न बैठो यू फिर
लगा कर आशा ,
कि सुख मिलेगा ,
मिलकर किसी ,
कही और खुशदिल से।
मेरा है कहना ,
पड़ेगा पछताना,
जो न मिल पाए,
कभी खुद, खुद से।
एक तुम ही तो हो ,
सच जानते हो ,
तुम्हारे ख्यालो मे ,
जिसे रब मानते हो ,
तो बहुत है जरूरी
कि न रहे दूरी ,
मिल लो दुनिया के,
सच्चे व सीधे भगsssवान से,
#######≈≈≈≈≈≈≈≈#######
Scripted by ,
Sandeep Sharma Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com ,
Jai shree Krishna g
Comments
Post a Comment