सहज होता है पेड़ अमरूद का,
उग आता है ,बेटी के वजूद सा,
फल भी तो बेटी से मधुर है,
मीठे,रसीले,स्वाद बहुत है।
अमरूद का पेड़,याद है बचपन की,
जब तोडे थे फल ,बात है कल की,
कई बार तो झगड़े, मौल ले लिए,
पेड़ अमरूद के ,अपने हो लिए,
याद आती है ,वो सारी यादे,
नमक लगा अमरूद थे खाते,
कितनी बेफिक्री कि थे वो बाते,
हक समझते थे ,सब डांट भी खाके।
पेड अमरूद का बाप सा होता,
बच्चे का प्यार है प्रेमवश ढोता,
दे देता फल खाकर सोटा,
बदला लेने को कभी भी न सोचा।
पेड अमरूद का हाकीम सा भी है,
रखता ध्यान स्वस्थ का भी है,
कई रोग मिटा देता है,
पत्ते फल का भी गुण होता है,
रोगनाशक कई जो गुण है ,
बचा लेते ये कर शगुन है।
पेड अमरूद का,बच्चे जैसा,
जहा चाहे उगा लो ,लग जाता वैसा,
मित्र सा बनकर इत्र हो जाता,
हर किसी को इसका फल भाता।
पेड अमरूद का इक दर्शन है,
खाने को जो इसकी तडपन है,
ठेली पे वो आकर्षित न करती,
जो लगे पेड पर बढाती धड़कन है।
है न ये पेड ये यार हमारा ,
गुण की खान,मित्र सा प्यारा,
रिश्ते इससे बेजोड हो जाते ,
बाग बगिया की शान बढाते,
धन से लेकर स्वाद बढाते,
दे दो सर्वत्र भी जो रिश्ते बच जाते,
अमरूद का पेड़ पाठ यही है पढाते।(2)
जय श्रीकृष्ण। #####जय श्रीकृष्ण।
मौलिक रचनाकार।
आपके अमरूद के बाग का फल।
संदीप शर्मा। (देहरादून से।)
Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com Jai shree Krishna g...guava..
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