है बहुत बडी उलझन, जब समझ न कुछ आता, निकल जाते सब कोई , बेचारा दिल ही रह जाता , कितना कोमल ये है, समझ इससे है आता , जो चाहे जब चाहे, इसको दुखा जाता, ये सीथा सादा दिल, समझ क्यू नही पाता, सब जाते खेल इससे, यह खिलौना भर रह जाता। ये कितना सच्चा है , समझ तब हमे है आता, हम मान लेते सब सच, जब कोई झूठ भी कह जाता। कितना ये सीधा है , तब और भी समझ आता। जब देखते छला ये गया, बना अपना छोड जाता। कितना ये सादा है, पता तब है चल पाता, जब हर कोई खेल इससे, दुत्कार इसे जाता। ये सच्चा सीधा सा, कर कुछ भी नही पाता , खुद ही लेकर दिल पर ये, हतप्रद ही रह जाता। हो कर के ये घायल , समझ नही है कुछ पाता, क्या खेल की चीज है ये, या जीवन जो धडकाता। इतनी बेरहमी से , है धिक्कारा इसे जाता, ये तब भी सीधा सादा, बस धडकता ही जाता। खामोशी से सब सह , जब झेल न और पाता, कहते अब मर ये गया, तो जीवन तक रूक जाता। यह सीथा सादा दिल , कितना कुछ सह जाता। देकर के जीवन ये, बस खुद ही है मर जाता।(2) ######@@@@@###### वो कहा है न दिल के अरमान ऑसुओ मे बह गए, हम वफा करके भी तन्हा रह
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