दैनिक जीवन की समस्या में छाया दान का उपाय 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ अक्सर ऐसा होता है कि व्यक्ति का बिता हुआ काल अर्थात भुत काल अगर दर्दनाक रहा हो या निम्नतर रहा हो तो वह व्यक्ति के आने वाले भविष्य को भी ख़राब करता है और भविष्य बिगाड़ देता है। यदि आपका बीता हुआ कल आपका आज भी बिगाड़ रहा हो और बीता हुआ कल यदि ठीक न हो तो निश्चित तोर पर यह आपके आनेवाले कल को भी बिगाड़ देगा। इससे बचने के लिए छाया दान करना चाहिये। जीवन में जब तरह तरह कि समस्या आपका भुतकाल बन गया हो तो छाया दान से मुक्ति मिलता है और आराम मिलता है। नीचे हम सामाजिक एवं पारिवारिक जीवन की विभिन्न समस्या अनुसार छाया दान के विषय मे बता रहे है। 1 . बीते हुए समय में पति पत्नी में भयंकर अनबन चल रही हो 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ अगर बीते समय में पति पत्नी के सम्बन्ध मधुर न रहा हो और उसके चलते आज वर्त्तमान समय में भी वो परछाई कि तरह आप का पीछा कर रहा हो तो ऐसे समय में आप छाया दान करे और छाया दान आप बृहस्पत्ति वार के दिन कांसे कि कटोरी में घी भर कर पति पत्नी अपना मुख देख कर कटोरी समेत मंदिर में दान दे आये इससे आप...
सभी मित्रगण को प्रणाम व जय श्रीकृष्ण। व राधे राधे। साथीगण यह मोहहमे बडा सताता है पर यह हमारे उत्थान को आवश्यक है।व यह प्रेरित करता है कि हम अपने उदेश्यको सार्थक ढंगसे निर्वहन करते हुए आगे बढे।।तो आइए सुनते है यह कथा। जिसका हमने आपको पिछले अध्याय मे सुनाने का मोह रख छोडा था। कहते है जब ऋषि वेदव्यास श्रीमदभागवत पुराण को रचने को प्रेरित हुए थे तो उन्हे ऐसे सृजन शील व्यक्ति या हस्ति की आवश्यकता हुई जो इस पुराण को उसी गति से लिख सके जिस गति से वेदव्यास भगवान सोच रहे हो व सृजन कर रहे थे।तो ऐसे मे नारद जी ही सहायक हुए।नारद जी ने इसमे उनकी सहायतार्थ श्री गणेश जी का नाम सुझाया। तो वो उनने पास गए व उन्हे मनाया वो तो बुद्धि कौशल के स्वामी है तो हामी भर दी।और इधर वेदव्यास जी ने एक विचित्र शर्त यह रखी कि जो बोलूंगा वो तो उसी गति से लिखोगे ही पर लिखोगे तब जब उनके अर्थ सही सही से लगा सको।और यह तो गणेश जी थे ही कौशल ...
पंच_तत्व_और_शरीर.... Collection:- जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारा शरीर पंच तत्वों से बना है। ये पंच तत्व ही भौतिक और अभौतिक रूप में शरीर का निर्माण करते है। ये पंच तत्व क्या है और शरीर में कैसे काम करते है। आज इन्ही तत्वों को समझेंगे। ये पंच तत्व है क्रम अनुसार...... 1. पृथ्वी, 2. जल, 3. अग्नि, 4. वायु, 5. आकाश। #1_पृथ्वी_तत्व------ ये वो तत्व है जिससे हमारा भौतिक शरीर बनता है। जिन तत्त्वों, धातुओं और अधातुओं से पृथ्वी (धरती) बनी है, उन्ही से हमारे भौतिक शरीर की भी सरंचना हुई है। यही कारण है कि हमारे शरीर में, लौह धातु खून में, कैल्शियम हड्डियों में, कार्बन फाइबर रूप में, नाइट्रोजन प्रोटीनरि रूप में और भी कितने ही तत्व है जो शरीर में पाए जाते है। और यही कारण है कि आयुर्वेद में शरीर को निरोग और बलशाली बनाने के लिए धातु की भस्मों का प्रयोग किया जाता है। #2_जल_तत्व-------- जल तत्व से मतलब है तरलता से। जितने भी तरल तत्व जो शरीर में बह रहे है वो सब जल तत्व ही है। चाहे वो पानी हो, खून हो, वसा...
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