न मै मीरा ,न मै राधा,(3)
मैने श्याम को पाना है,(3)
पास हमारे भी कुछ भी नही है ,(2)
निर्मल भाव चढाना है।
न मै मीरा ।
जब से तेरी सूरत देखी (3)
तुम मे प्रेम की मूर्त देखी,(3)
अपना ही तुम्हे बुलाना है,(3)
न मै मीरा ।
न मै राधा न मै मीरा(,3)
फिर भी श्याम को पाना है,(3)
न मै मीरा (3)
और किसी को मै क्या जानू,(3)
अपनी लगन को सबकुछ मानू(3)
अपना ही तुम्हे बुलाना है,
न तुमको हमे भुलाना है,
न मै मीरा ।
जन्म जन्म से भटकी मोहन,(4)
युग युग से मै भटकी मोहन,(4)
जोत से जोत जलाना है (3)
न मै मीरा न मै राधा (4)
फिर भी श्याम को पाना है,
न मै मीरा न मै राधा ।
दासी तुम्हारी मिलने को आई,(3)
लगन मिलने की तुमसेलगाई,(2)
लगन मिलने की मन मे समाई(2)
अपना ही तुम्हे बनाना है।(2)
जोत से जोत जलाना है।(2)
न मै मीरा न मै राधा (3)
फिर भी श्याम को पाना है,
न मै मीरा न मै राधा
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भावमय संकलनकर्ता ।
संदीप शर्मा, (देहरादून से)।
जय श्रीकृष्ण। जय श्रीकृष्ण। जय श्रीकृष्ण।
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