जो चला जाऊ रूठकर,कहीं
तो अपना हक जताना,
मै करू जो जिद्द न आने की
तो भी मुझको लौटा तुम लाना।
जो कही हो जाऊं खफा ,
तो बेपरवाह न हो जाना।
रिश्ता टूट जाता है ,
तो हो जाऊ चुप यदि मै
तो मुझको तुम मनाना ।
ऐसी कितनी ही बाते है ,
जो अब पडती है बताना,
कदर कही रही नही भावनाओ की,
हो गया है खुष्क जमाना।
कहते है इंसान बसते है यहा,
कही दिखता हो तो बताना,
मुझे तो अकेले ही नजर आती है,
सब,भीड मे,
कोई मिलकर रहता हो तो दिखाना।
चला जाऊंगा ,दूर बहुत दूर,
तुम लौटा न पाओगे कभी जब ,
तब कहो न कहो,
क्या रह जाएगा जो कहोगे भी, " लौट आना ।"
तो चलो छोडो सब,
क्या करना मन के बिन,
तुम ऐसे ही चले जाना।
न कहना मुझे साथ रहकर भी ,
जो कहना पडे तुमको,
अरे लौट आना।
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Sandeep Sharma Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com,
Jai shree Krishna g
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