वो लिख लिख कर मै बताता गया ,
जख्म कैसे, किस ,किस, से थे खाए,
ये सब हिसाब बताता क्या गया,
हैरानी तो तब हुई ,जब बदले मे ,
वाह वाह, बहुत खूब वाह , के ,
जुमले मै पाता गया।
ऐसे मे जीवन की एक गहरी बात समझ आई,
दुख भी बिकता है , वाह के मौल भाई।
जिसका जितना बडा दुख होगा,
वो उतनी बडी वाह पाएगा,
सुख की कदर यहा घट गई, देखो,
अब वो दुख से छोटा रह जाएगा।
अजीब सी विडंबना है ,
किस्से, किसके,
कहा जा के बिकते,
यह तो बडी विचित्र बात है,
जिसको पता चला ,
लगा दुख सुनाने,
इसमे भी हारा मै,
क्योकि और ही लोग ,
लगे अव्वल आने।
तब इक और बात समझ आई,
कि मशहूर होना भी आसान नही है,
इसके भी इम्तिहान वही सही है,
जो मशहूर होना चाहे ,
वो अपना बडा दुखड़ा सुना दे।
इस तरह दुख भी दिख जाएगा,
चाहे किसी मौल सही ,
कही तो वह भी बिक जाएगा।
यह सब सोच समझ ही रहा था कि ,
एक अनजान शख्स का ,
सच मे फोन आया,
उसने बडी गहराई से समझाया।
कि दोस्त एक बात ,
रखना सदा याद,
जब तक माॅ,बाप है न ,
यह कमबख्त ,
दुख फटकता न है,
बस उनके जाते ही,
यह आ धमकता है,
फिर चिरस्थाई हो जाता,
यह खिसकता न है ,
तो जब तक तुम्हारे सिर पर,
मां बाप की छत्र छाया है,
समझो तब तक का जीवन,
तुम्हारा सरमाया है।
उसके बाद तो, सिरहन ,पीड बे आरामी,
व दर्द से ही हर शख्स भरमाया ,
यही है हर शख्स की असली कहानी।
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स्वरचित मौलिक रचनाकार,
संदीप शर्मा, (देहरादून से)
Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com,
Jai shree Krishna g . 🙏 💖 ❤ .
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