Skip to main content

हौरी कृष्ण की।

 

स्थाई:-
देखो आए है कृष्ण मुरारी,
हौरी खेलेगी गोपियां सारी,
ये तो बलशाली, है गिरिराज धारी,
आज खेलेगे हौरी सखा री।(स्थाई)

गोप गोपियन संग, देखो,रंगे कैसे संग,
इनके नैयना कजरारे, मारे पिचकारी  हा रे,
मै तो भीग गई  मस्ती  मे इनकी,
अब तो नयनो के तीर न चला रे।
देखो आए है कृष्ण  मुरारी,(स्थाई)

केशव करो ऐसे कृपा,
खेले सब सखी सखा,
तेरे रंग मे भीग  जाए,
सब इक दफा,
हम तो जाए तेरे बलिहारी,
गोपियन  संग खेले केशवा  री।
देखो आए  है कृष्ण  मुरारी,(स्थाई)

बृज बना है मन,देखो राधे अंग संग ,
मै तो घायल हुआ रे,प्रीत मे  इनके रंग,
मेरी कोई तो सुधि लो सखा री,
मै तो नशे मे हू परमपिता की,
हौरी खेले है कृष्ण  मुरारी,(स्थाई)

अभी तो खुली है अंखिया,
देख गोपियन  की मटकिया,
इन मे रंग है प्रेम का भरा री,
इन मे रंग  स्नेह का है भरा री।
हौरी खेले है मेरे गिरधारी, हौरी (स्थाई)

मची सब तरफ लूट,
पी लो कृष्ण नाम का घूंट,
इससे छाता है मदमस्त नशा री,
सखी आओ पीए, हमसब जरा री ,
कृष्ण खेले है हौरी सखा री,

आओ रिझाए कृष्ण  को सखा री,


गाए कृष्ण,,कृष्ण, कृष्ण, कृष्णः री,


गाए कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण, कृष्णः री।


गाए  कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, कृष्णः री।(2)


[हरे राम ,हरे राम ,राम राम, हरे हरे ,


हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे](8)


ॐ¤¤¤¤¤¤ॐ¤¤¤¤¤¤ॐ¤¤¤¤¤¤ॐ


संदीप शर्मा।देहरादून से।


(

सीधे हरि धाम)
Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com
Jai shree Krishna g 👍 🙏 💖.


Comments

Popular posts from this blog

कब व कैसा दान फलदायी है।

 दैनिक जीवन की समस्या में छाया दान का उपाय 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ अक्सर ऐसा होता है कि व्यक्ति का बिता हुआ काल अर्थात भुत काल अगर दर्दनाक रहा हो या निम्नतर रहा हो तो वह व्यक्ति के आने वाले भविष्य को भी ख़राब करता है और भविष्य बिगाड़ देता है। यदि आपका बीता हुआ कल आपका आज भी बिगाड़ रहा हो और बीता हुआ कल यदि ठीक न हो तो निश्चित तोर पर यह आपके आनेवाले कल को भी बिगाड़ देगा। इससे बचने के लिए छाया दान करना चाहिये। जीवन में जब तरह तरह कि समस्या आपका भुतकाल बन गया हो तो छाया दान से मुक्ति मिलता है और आराम मिलता है।  नीचे हम सामाजिक एवं पारिवारिक जीवन की विभिन्न समस्या अनुसार छाया दान के विषय मे बता रहे है। 1 . बीते हुए समय में पति पत्नी में भयंकर अनबन चल रही हो  〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ अगर बीते समय में पति पत्नी के सम्बन्ध मधुर न रहा हो और उसके चलते आज वर्त्तमान समय में भी वो परछाई कि तरह आप का पीछा कर रहा हो तो ऐसे समय में आप छाया दान करे और छाया दान आप बृहस्पत्ति वार के दिन कांसे कि कटोरी में घी भर कर पति पत्नी अपना मुख देख कर कटोरी समेत मंदिर में दान दे आये इससे आप कि खटास भरे भ

सीथा सादा सा दिल।

  है बहुत बडी उलझन, जब समझ न कुछ  आता, निकल जाते सब कोई  , बेचारा दिल  ही रह जाता , कितना कोमल  ये है, समझ इससे है आता , जो चाहे जब चाहे, इसको दुखा जाता, ये सीथा सादा दिल, समझ क्यू नही पाता, सब जाते खेल इससे, यह खिलौना  भर रह जाता। ये कितना सच्चा है , समझ तब  हमे है आता, हम मान लेते सब सच, जब कोई झूठ भी कह जाता। कितना ये सीधा है , तब और भी समझ आता। जब देखते छला ये गया, बना  अपना छोड जाता। कितना ये सादा है, पता तब  है चल पाता, जब हर कोई  खेल इससे, दुत्कार इसे जाता। ये सच्चा सीधा सा, कर कुछ भी नही पाता , खुद  ही लेकर दिल पर ये, हतप्रद ही रह जाता। हो कर के ये घायल , समझ नही  है कुछ पाता, क्या खेल की चीज  है ये, या जीवन  जो धडकाता। इतनी बेरहमी से , है धिक्कारा इसे जाता, ये तब भी सीधा सादा, बस धडकता ही जाता। खामोशी से सब सह , जब झेल न और पाता, कहते अब मर ये गया, तो जीवन  तक रूक जाता। यह सीथा सादा दिल , कितना कुछ  सह जाता। देकर के जीवन ये, बस खुद ही है मर जाता।(2) ######@@@@@###### वो कहा है न दिल के अरमान  ऑसुओ मे बह गए, हम वफा करके भी तन्हा रह

बहुत कुछ पीछे छूट गया है।

  बहुत कुछ  मुझसे  छूट  गया है, यू जीवन ही रूठ गया है, थोडी जो  कर लू मनमानी, गुस्से हो जाते है ,कई  रिश्ते नामी। सबके मुझसे सवाल  बहुत  है, सवाल मेरो के जवाब  बहुत है, अपने काम मे बोलने न देते, सब सलाह  मुझको  ही देते, क्या मै बिल्कुल  बिन वजूद हूॅ, या किसी पत्थर का खून हूॅ। क्यू है फिर फर्माइश  सबकी, ऐसे करू या वैसा ,जबकि, कहते है सुनता ही नही है, जाने इसे क्यू, सुझता ही नही है, बिल्कुल  निर्दयी हो चुका हूॅ। पता है क्या क्या खो चुका हूं ? बढो मे जब पिता को खोया, जानू मै ही ,कितना ये दिल रोया, और भी रिश्ते खत्म हो गए, जाते ही उनके, सब मौन हो गए। डर था सबको शायद ऐसा, मांग  न ले ये कही कोई  पैसा, सब के सब मजबूर हो गए, बिन  मांगे ही डर से दूर हो गए, ताया चाचा,मामा मासी, सबने बताई  हमारी   हद खासी, इन सब से हम चूर हो गए  , छोड  सभी से दूर हो गए। फिर  जब हमे लगा कुछ  ऐसा, रिश्ते ही नही अब तो डर काहे का। बस जिंदगी  के कुछ  उसूल  हो गए, बचपन मे ही बढे खूब  हो गए। इक इक कर हमने सब पाया,