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जिज्ञासा ।

 

है इक कौतुक  हर ह्रदय मे,
और साथ  है भरपूर सी आशा,
कर लू यह भी ,कर लू वह भी ,
पाने कि सुख है अभिलाषा।
कितना कुछ  करने को है,
कितनी भीतर है जिज्ञासा,
कितने काम पिपासु  है हम ,
तय करती सफलता व आशा,
जैसी वृति व जैसा आचरण
दिलवाती हमे सफलता या निराशा।
बनो जिज्ञासू,काम पिपासु ,
यही मंत्र  है हमारी सफलता का।
क्षेत्र  चाहे वैज्ञानिक हो आर्थिक,
  या फिर हो आध्यात्मिक,
जितना ज्ञान  बटोर लोगे,
उतनी  अच्छी होगी  हर आशा।
जानने को  रहो सदा ही आतुर,
और मिटाओ आपनी जिज्ञासा।
बस थोडा सा बच के रहना,
न करना तांकझांक, अन्यो  की निजता का,
सफल सफर  मे  तो हो जाओगे,
पर मान न मिलेगा,पाओगे निराशा।
सफलता का मूल यही है ,
कि हो मन मे एक जिज्ञासा।
और बताऊ  इक बात खास,
हम  बने कयू हम, क्योकि थी जिज्ञासा।
############
संदीप शर्मा।देहरादून से।

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