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सेक्स नैतिक या अनैतिक कब।

 साथियो आज एक विचित्र  विषय लिए  उपस्थित हुआ हू।विचित्र  इसलिए  क्योकि हमारे समाज  मे इस पर खुलकर  बात करना शोभनीय नही माना जाता जबकि यह अच्छा भी है पर वही आधी अधूरी जानकारी  ,बहुत  बडी समस्याए  भी खडी कर देती है। एक बार खुशवंत सिह जो जाने माने लेखक रहे है उन्हे भी ऐसे ही विषय परकुछ लिखा था।हैरत हुई कि सत्य भी था कि उन्होने लिखा उनकी बेटी को कभी सैक्स  ऐजुकेशन नही मिली पर वो सब कैसे जान गई। सब। तो मुझे वैसे  कोई चिकित्सीय या वैज्ञानिक   अनुभव कहू तो  नही है पर जो  सामाजिक जानकारी है उसके हिसाब  से आपसे इस नाजुक  विषय पर गंभीर  बात रखने की कोशिश  करने जा रहा हू।इस लेख का उदेश्य जरा भी काम वासना नही बल्कि  एक परिचर्चा है।

आप सभी जानते है कि संतति की प्राप्ति के लिए  एक निश्चित  प्रक्रिया  से गुजरना होता है जो कि प्रजनन कहलाती है।यह कब व कैसे करने पर नैतिक  ,अनैतिक, या अपराध  की श्रेणी मे आती ही आज इसी पर चर्चा करने जा रहा हू।

हो सकता है आप को यह मुद्दा  अति संवेदनशील लगे जो कि वस्तुतः  है भी पर इस पर चर्चा करने मे कोई  गुरेज  नही है कारण हमे अपनी सीमा ज्ञात होनी चाहिए  ताकि अपनी मनोवृति पर अंकुश  रखा जा सके।देखा गया है कि समाज  मे आज हर और से हिंसात्मक व नारियों के प्रति वहशीपन की घटनाए  नित नए  ढ़ंग  से पेश हो रही है इसे रोकने का एक मात्र  उदेश्य  इसपर खामोश  न रह कर लोगो को जागरूक करना है।तो आइए इस पर चर्चा आरंभ करे।

सेक्स, यानि कि योन क्रिया कब कैसी है?


जो  सेक्स होता है  या । Sex की क्रिया होती है ।  जब तो यह Sex पति पत्नी के बीच होता है तो मंगल और #शुभदायक माना जाता है!  क्योकि उदेश्य  समर्पण, प्रेम, व संतति  की प्राप्ति हेतु  या वंश वृद्दि  के उदेश्य से किया जाता है। अंतः  यह नैतिक  होता है ,परंतु तब जब युगल  दोनो मन से व  प्रेम  से समर्पित होते हुए  करे।


यही Sex जब किसी #वेश्या से किया जाता है तो वह नीच और #अशुभ माना जाता है!  व बिल्कुल  अनैतिक  हो जाता हो।कारण यह एक तो अपने जीवन साथी के साथ  विश्वासघात है व अपने संयम  पर भी अंकुश न रखने के कारण वर्जित है। व अधार्मिक  आचरण  भी है।अश्लील श्रेणी मे आता है तो मेरे अनुसार  यह एक सीधे शब्दो मे कहे तो साफतौर  पर एक साथी द्वारा  दूसरे को दिया जाने वाला धोखा है।व आमंत्रण है कई  प्रकार  की  अनैतिक विचारो व बीमारियो  का जिसका भुगतान अवश्य ही चरित्रहीन की उपाधि पाने के साथ साथ नर्क गमन  के द्वार खोलते  नजर आते है।।तो यहा आप कितने ईमानदार  है आप स्वयं तय करे।हालांकि  हमारे समाज  मे व वैधानिक  रूप  से यह भी अवैधानिक है।


लेकिन यही Sex का प्रयोग जब किसी #स्त्री या पुरुष के साथ ज़ोर #जबरदस्ती के साथ किया जाता है तो वह बलात्कार #अधर्म और दंडनीय होता है! 

व अपराध  की श्रेणी मे आ जाता है।यह तो वहशीपन  की हदे लांघता दिखाई देता है जो सामाजिक  रूप से आपको नीच ही  नही बनाता बल्कि  वैधानिक  रूप से भी आप को अपराधी  घोषित  करता है व आप दोषी होते  भी है।यह  कृत्य घिनौना व  गिरे आचरण का परिचायक है जो आपके परिवार  व संगत एवं आपके पालन पोषण के ढंग  को दर्शाता है।


देखिये सेक्स की क्रिया एक ही है, कोई अंतर नहीं, पर मंशा और उद्देश्य अलग हैं । एक वंश को बढाने के लिए और शुभदायक है और दूसरा अमंगलकारक है ।जबकि तीसरा अनैतिक  व अवैधानिक है।


तो  अब सुझाव  यह है कि संयम  अनुशासित जीवन व  नैतिक  व धार्मिक आचरण  ही इसका हल है।

एक उदाहरण  से समझे।


एक हत्या होती है! 

यह हत्या जब कोई सैनिक अपने देश या किसी की जान बचाने के लिए करता है तो उसको वीरता और शौर्यता से सम्मानित किया जाता है ।

मान सम्मान  का पात्र होता है या बनता है ।


और यही हत्या जब कोई आतंकवादी करता है तो उसको दंड भोगना ही पड़ता है! अनैतिक  कृत्य मे शामिल  किया जाता है व निंदनीय  होता है ।


इसलिए किसी भी कवित्ता ,शायरी , नज़्म का प्रयोग करने वाला कौन है , किसलिए कर रहा है , किस उद्देश्य से किया जा रहा है , यही उसके ग़लत सही का परिमाप है!

अतः कहने का  मूल भाव  यह है कि सकरात्मक सोच व आचरण व्यवहार व आदत पर संयम  रखिए। व एक अच्छे सामाजिक  परिवेश  से ताल्लुक  होने का परिचय  दीजिए। ताकि मान सम्मान के साथ एक नेक समाज  की स्थापना हो व आपकी अपनी भी घर मे बहू बेटिया,व मां इत्यादि है।जिनकी सुरक्षा का एक मात्र उपाय यही है जो बताया है।

बाकि जैसे आप चाहे।

जय श्रीकृष्ण। अगली बार किसी अन्य सामाजिक  मुद्दे को लेकर  हाजिर होऊँगा। तब तक करे इंतजार। 

अपने कमैंट  अवश्य दे।इस पर कि आप क्या सोच रखते है।व ऐसे विषय  से कैसे जागरूक  किया जाए।नई  पीढी को क्योकि अन्यथा वो गलत खिंचाव के कारण अनैतिक  हो जाता है।जिसे अनजाने मे अपराधबोध से ग्रसित  होना पडता है और फिर  यह घृणित भी हो जाता है।व अपना सामाजिक  स्तर भी खो देता है।चाहे वो किसी भी लिंगका क्यू न हो।तो चलिए चर्चा को दे विराम अब आप करे अपने विचार  प्रस्तुत। जो भी आपको ठीक लगे।

बस इतना ही।आगे आप  जैसा कहे।है जी।

जय श्रीकृष्ण। 

संदीप शर्मा। देहरादून से।


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