मेरा ,तेरा,तेरा मेरा,
न इश्क बना,
हे न इश्क बना।
तंग होती गलियों का,
था दूर मुकाम,
हे, था दूर मुकाम। (स्थाई)
जिंदगी ये क्यू हमारी,
खिली न वो क्यू बेचारी,
क्यू रह गए वो सपने,
अधूरे ही सारे अपने,
यही क्या कही कम था,
अश्को मे खारापन था,
सब के खिले थे मोती,
अपना ही पानी कम था।
स्थाई;;;;;;;;;;;;
मेरा तेरा ,तेरा मेरा ,
खिला न यकीन,
हे क्यू खिला न यकीन,
तेरा मेरा ,मेरा तेरा,
मिला न नसीब,
हे न मिला क्यू नसीब।
इक छत के नीचे रह के,
लगे न कभी ठहाके,
रूसवाइयो के वो धागे,
रहे उलझे,सुलझे न ये,
क्यू ये जो खालीपन था
भरा न ,जब न कोई गम था
ये कैसा नजीर,
हे ये कैसा नजीर,
तेरा मेरा ,मेरा तेरा
मिला न नसीब,
हे,मिला न नसीब।
स्थाई;;;;;;;;;
किस्मत बुरी नही थी ,
आदत मे ही कमी थी ,
मांगे है वो तू मुझसे,
दे न पाई जो खुद से,
बीती रात करवटो मे,
दिन बीते सिलवटो मे,
सिर्फ बिन यकीन,
हे सिर्फ बिन यकीन,
स्थाई:;;;;;;;
खत्म हो रहे है फिर से
जीने के मीठे किस्से ,
जिद्द तेरी की ही खातिर,
डूबे है सारे ही साहिल,
नही है यकीन,
हे ,नही है यकीन,
तेरा मेरा ,मेरा तेरा,
क्या यही है नसीब,
हे क्या यही है नसीब।
तेरा मेरा,मेरा तेरा,
न बदला नसीब,
हे न बदला नसीब ।
स्थाई:;;;;;;
मुकम्मल हुआ न इश्क ,
लेकर तेरी ही जिद्द,
जिसको है तू संजोए,
उसी ने है पल सब खोए,
फिर भी न यकीन,
हे फिर भी न यकीन,
तेरा मेरा ,मेरा तेरा,
मिला न रकीब
हे हम हुए न करीब,
हे
क्यू मिला न नसीब ,
हे ,न रहा क्यू यकीन,
हम रहे बदनसीब,
हे हम रहे बदनसीब।
तेरा मेरा ,मेरा तेरा,
इश्क न बना ,
लगी बद्दुआ,
हे तेरी ,मेरी मेरी तेरी,
खत्म दास्तान,
हुई खत्म दास्तान।
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जय श्रीकृष्ण।
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गीतकार।
संदीप शर्मा। देहरादून से।
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Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com,
Jai shree Krishna g 👍 ..
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