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आधुनिक पत्नि का प्रेम।

 

इक पत्नि  पति से कहने को प्यार करती,
जब देखो शिकायते हजार करती,
बात हो जाती मायके मे कोई  अनबन की,
लुकछिप कर बात करती,
और वही होती जब घर पति के ,
तो हर रिश्ते मे प्रचार करती।
देखा पत्नि कितना पति से प्यार करती।

यह फर्क है प्यार और प्रेम  मे,
एक अपनत्व व बनावटी के फ्रेम मे,
तब शिकायत  शिकायत  न रहती,
जब नारी परिवार पति को भी,
उतनी ही समर्पित  रहती,
उसकी बात का भी वैसे ही पर्दा करती,

पर अब न तो यह रिवायत है,
न ही रिवाज है,
नारी की सशक्त बडी आवाज है।
दबी है न सदियो से तो यह ,तो
प्रतिकार उसके ,का  ही अवार्ड है
क्या करे नारी अबला है ,कहते है सब।
पर पुरूष  की भी खो रही अब आवाज है।
क्या करे यही सब अब आगाज है रिवाज है।
जय श्रीकृष्ण।
                     ######
वो समझे जिनके लिए ये हालात  है। जिन बहनो के भाई संग है यह स्थिति।  वो तो सहमत हो सकती है ,पर जिनके साथ इसका कोई  लेना देना नही वो तटस्थ  रह कर निर्णय  दे,सकती है।
पर जो सच मे ऐसी नही है, उनसे घोर माफी है।
पर जो ऐसी है।उनकी प्रारब्ध की ही बात होगी साथी। है।
जय श्रीकृष्ण। जय श्रीकृष्ण जय श्रीराम जय श्रीकृष्ण ।
संदीप शर्मा।


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