मां से आई ममता,
मां से आया प्यार,
मां से उपजा वात्सल्य,
मां से आया विश्वास।
मां से आई महानता,
मा से आई, आस,
मां से आया नेह भाव ,
मां से आया राग,
माॅ से ही आरंभ हुआ सृजन,
मां से ही उपजे भाव,
माॅ से छलकी संवेदना
माॅ से आए विचार,
मां से ही ईश्वर हुआ,
ईश्वर से हुई मां
दोनो पर्याय इक दूजे के ,
दोनो मे कोई कम न।
मां ही तो इक शक्ति है ,
जिसकी तुलना कोई न,
मां ही शब्द सम्पूर्ण है,
जिसमे कम कुछ न।
मां से ही नारीत्व है,
मां से ही पुरूष हाॅ ,
मां से ही सब सृजन है,
शब्दो की कमी न।
मा से ही सब का वर्चस्व है,
मां बिन कही कुछ न,
मां से ही अभिनंदन है,
मां बिन सब सूना,
मा से ही है आस्था,
मां से ही है वंदना,
मे से ही प्रार्थना।
मां बिन कही कुछ न।
मां से ही सब अभिव्यक्त है,।
मां से ही सशक्त जहान,
मां से ही है देवत्व भी,
मां से ही आत्मा।
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संदीप शर्मा। देहरादून से।
जय श्रीकृष्ण।
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