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गीता आज के संदर्भ मे।

 दोस्त आज दिनांक  14/01/2022,मकर संक्रांति के पावन दिवस पर मै श्री सरस्वती देवी से अनुकम्पा पाते हुए  श्रीकृष्ण की वाणी, श्रीमदभागवत गीता जी की विवेचना का श्री गणेश  करने जा रहा हू हर बार कुछ  न कुछ नया जोडूगा।

बुध्दिमान  तो ज्यादा नही हू पर क्यो ये ग्रंथ मुझे भाया नही जानता पर क्यू इस पर लिखू यह भी नही जानता बस मन किया सो लिखने जा रहा हू।

अच्छा होगा  बुरा  होगा पता नही बस अपनी बुद्धि के अनुसार  ही लिखूगा।

स्वीकार करिएगा।

ये शब्दालंकार श्रीकृष्ण की प्रेरणा से श्रीकृष्ण के लिए  लिख रहा हू श्रीकृष्ण  इसपर अपनी अनुकम्पा करे।

बस इतनी ही प्रार्थना है की लिखने वाले से लेकर पढने वाले के बीच सब पर श्रीकृष्ण कृपा बनी रहे।

जय श्रीकृष्ण। 

प्रश्न लड़ी:-

गीता है क्या :- मेरे मतानुसार पथच्युत व्यक्ति की शंकाओ का निवारण  करने वाली सलाह गीता है।

क्या गीता एक ही है :- नही ऐसा नही ,सो से ज्यादा गीता है ,उद्धव,गीता,अष्टावकर् गीता आदि कई है।

जीव के शरीर की तीन भौतिक  गतिया:-जलाया जाना ,दबाया जाना या फिर ही सडने देना।

चौथी गति नही है।

आज का अंतिम  प्रश्न:- समान्य परिपेक्ष्य मे इसके मायने :-गीता एक ऐसा ग्रंथ है जो काल,स्थिति व्यक्ति या संदर्भ  विशेष  के लिए नही बल्कि  सर्व मान्य  हर काल ,व्यक्ति  व स्थिति मे सत्य है।वैज्ञानिक है व परिपूर्ण  है।

यह मुझ जैसे सामान्य  व्यक्ति के लिए  भी वैसा ही फलदायी है जैसे अर्जुन  के लिए  था।

यह भीतर के हर द्वंद्व का सटीक  उत्तर आपकी भाषा बुध्दिमत्ता व स्तर के हिसाब से आपको संतुष्ट  करती है ।

जय श्रीकृष्ण। 

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।

श्रीकृष्ण देवाय।

जय श्रीकृष्ण। जय श्रीकृष्ण। जय श्रीकृष्ण। 

*Reserving all copyright  rights reserved)

Scripted  by Sandeep Sharma Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com

 Jai shree Krishna g .


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