स्थाई:- देखो आए है कृष्ण मुरारी, हौरी खेलेगी गोपियां सारी, ये तो बलशाली, है गिरिराज धारी, आज खेलेगे हौरी सखा री।(स्थाई) गोप गोपियन संग, देखो,रंगे कैसे संग, इनके नैयना कजरारे, मारे पिचकारी हा रे, मै तो भीग गई मस्ती मे इनकी, अब तो नयनो के तीर न चला रे। देखो आए है कृष्ण मुरारी,(स्थाई) केशव करो ऐसे कृपा, खेले सब सखी सखा, तेरे रंग मे भीग जाए, सब इक दफा, हम तो जाए तेरे बलिहारी, गोपियन संग खेले केशवा री। देखो आए है कृष्ण मुरारी,(स्थाई) बृज बना है मन,देखो राधे अंग संग , मै तो घायल हुआ रे,प्रीत मे इनके रंग, मेरी कोई तो सुधि लो सखा री, मै तो नशे मे हू परमपिता की, हौरी खेले है कृष्ण मुरारी,(स्थाई) अभी तो खुली है अंखिया, देख गोपियन की मटकिया, इन मे रंग है प्रेम का भरा री, इन मे रंग स्नेह का है भरा री। हौरी खेले है मेरे गिरधारी, हौरी (स्थाई) मची सब तरफ लूट, पी लो कृष्ण नाम का घूंट, इससे छाता है मदमस्त नशा री, सखी आओ पीए, हमसब जरा री , कृष्ण खेले है हौरी सखा री, आओ रिझाए कृष्ण को सखा री, गाए कृष्ण,,कृष्ण, कृष्ण, कृष्णः री, गाए कृष्ण, कृष्ण, कृष